Thu. Nov 21st, 2024

महान वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर उनको शत शत नमन श्रद्धांजलि ।

महान वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर उनको शत शत नमन श्रद्धांजलि ।
गढ़वाल, उत्तराखण्ड की एक ऐसी वीरांगना जो केवल 15 वर्ष की उम्र में रणभूमि में कूद पड़ी थी और सात साल तक जिसने अपने दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। 22 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली एक वीरांगना है। झाँसी की रानी, दुर्गावती, चाँदबीबी और झलकारी बाई जैसी अमर और शक्तिशाली महिलाओं के साथ ही तीलू रौतेली भी श्रद्धेय हैं।
08 अगस्त 1661 को भूप सिंह के घर जन्मीं, तीलू रौतेली (जो मूल रूप से तिलोत्तमा देवी कहलाती थीं) एक गढ़वाली राजपूत योद्धा और लोक नायिका थीं। वह चौंदकोट (वर्तमान गढ़वाल, उत्तराखंड) के गुराड़ तल्ला गाँव की रहने वाली थीं। उन्होंने गुरु शीबू पोखरियाल के मार्गदर्शन में घुड़सवारी और तलवारबाज़ी में महारत हासिल की थी। तीलू रौतेली शायद दुनिया की एकमात्र महिला योद्धा हैं, जिन्होंने पंद्रह से बीस वर्ष की उम्र के बीच सात युद्ध लड़े। गढ़वाल के लोककथाओं के अनुसार गढ़वाल के राजा और कत्यूरी राजाओं के बीच युद्ध आम माना जाता था। तीलू रौतेली भगतू और पथ्वा की छोटी बहन थी, जिसने बचपन से ही तलवार और बंदूक चलाना सीख लिया था। छोटी उम्र में ही तीलू की सगाई ईड़ा के भुप्पा नेगी से तय कर दी गयी थी, लेकिन शादी होने से पहले ही उनका मंगेतर युद्ध में वीर गति का प्राप्त हो गया था। तीलू ने इसके बाद शादी नहीं करने का फैसला किया था। इस बीच कत्यूरीराजा धामशाही ने अपनी सेना को मजबूत किया और गढ़वाल पर हमला बोल दिया। खैरागढ़ में यह युद्ध लड़ा गया। मानशाह और उनकी सेना ने धामशाही की सेना का डटकर सामना किया लेकिन आखिर में उन्हें चौंदकोट गढ़ी में शरण लेनी पड़ी। इसके बाद भूपसिंह और उनके दोनों बेटों भगतू और पथ्वा ने मोर्चा संभाला। भूपसिंह सरैंखेत या सराईखेत और उनके दोनों बेटे कांडा में युद्ध में मारे गये।
सर्दियों के समय में कांडा में बड़े मेले का आयोजन होता था और परंपरा के अनुसार भूपसिंह का परिवार उसमें हिस्सा लेता था। तीलू ने भी अपनी मां से कहा कि वह मेले में जाना चाहती है। इस पर उसकी मां ने कहा, ”कौथिग जाने के बजाय तुझे अपने पिता, भाईयों और मंगेतर की मौत का बदला लेना चाहिए। अगर तू धामशाही से बदला लेने में सफल रही तो जग में तेरा नाम अमर हो जाएगा। कौथिग का विचार छोड़ और युद्ध की तैयारी कर।” मां की बातों ने तीलू में भी बदले की आग भड़का दी और उन्होंने उसी समय घोषणा कर दी कि वह धामशाही से बदला लेने के बाद ही कांडा कौथिग जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *