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हारवन में सुरक्षाबलों और आतंकयों के बीच मुठभेड़ ,एक आतंकी ढेर

जम्मू। ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के साथ सटे हारवन के ऊपरी जंगल में सोमवार की रात को उस समय गोलियों की आवाज गूंज उठी ,जब सुरक्षाबलों की घेराबंदी तोड़ भागने के लिए आतंकियों ने गोली चलाई। सुरक्षाबलों ने भी खुद को बचाते हुए जवाबी फायर किया और उसके बाद दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई।

मिली जानकारी के सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया है। मारे गए आतंकी की पहचान का पता लगाया जा रहा है। उसके अन्य साथियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का अभियान जारी है घेराबंदी में दो से तीन आतंकियों के फंसे होने की सूचना है।

आतंकियों के छिपे होने की मिली थी सूचना

यहां मिली जानकारी के अनुसार, सुरक्षाबलों ने आज हारवान के ऊपरी हिस्से में आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर एक तलाशी अभियान चलाया। इसी अभियान के दौरान जंगल में आगे बढ़ रहे जवानों पर एक जगह छिपे आतंकियों ने गोली चलाई। मुठभेड़ रात 11.30 बजे के करीब शुरु हुई है।

जब्रवान की पहाड़ियों के बीच छिपे आतंकी

जिस इलाके में यह मुठभेड़ हो रही है, वह दाचीगाम नेशनल पार्क का ही एक हिस्सा है और जब्रवान की पहाड़ियों के बीच स्थित है। इस इलाके का इस्तेमाल आतंकी  बांडीपोर-कंगन-गांदरबल से दक्षिण कश्मीर जाने के लिए या फिर दक्षिण कश्मीर से गांदरबल के रास्ते बांडीपोर की तरफ जाने के लिए करते हैं। यह इलाका दाचीगाम को त्राल से जोड़ता है।

 

संबधित सूत्रों ने बताया कि घेराबंदी में फंसे आतकियों की सही संख्या मालूम नहीं हो पायी है,लेकिन आतंकियों की तरफ से हो रही फायरिंग के आधार पर उनके दो से तीन तक होने कादावा किया जा रहा है। अन्य विवरण की प्रतीक्षा है।

सियाचिन में खराब मौसम के कारण हवलदार बलिदान

सेना की 1-जम्मू कश्मीर राइफल्स के हवलदार नवल किशोर सियाचिन ग्लेशियर में मातृभूमि की रक्षा करते हुए बलिदान हो गए। लद्दाख के अत्यंत ठंडे वातावरण में वह गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। लद्दाख के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल पीएस सिद्धू ने बताया कि हवलदार नवल किशोर का एक दिसंबर को चिकित्सा कारणों से बलिदान हुआ है। उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक निवास पर भेजने के लिए तैयारी हो रही है।

 

सेना की उत्तरी कमान व लद्दाख की रक्षा कर रही फायर एंड फ्यूरी कोर के अधिकारियों व जवानों ने सोमवार को बलिदानी को सलामी दी। मौसम ठीक रहने की स्थिति में बलिदानी के पार्थिव शरीर को मंगलवार को उनके गृह जिले हिमाचल प्रदेश के मंडी भेजा जाएगा। इससे पहले उन्हें लेह में सलामी दी जाएगी।

सियाचिन ग्लेशियर में अत्याधिक ठंड के कारण कई बार जवानों को हृदय रोग, ठंड संबंधी अन्य बीमारियों का सामना करना पड़ता है। सैन्य सूत्रों के अनुसार पिछले माह भी सियाचिन ग्लेशियर में दो सैनिक ठंड संबंधी बीमारियों के कारण बलिदान हुए हैं।

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